शुक्रवार, 27 नवंबर 2020

Measures of central tendencies (केंद्रिय प्रवृत्ति के माप)

केंद्रिय प्रवृति वह माप हैं, जो समूह या आँकडों का केंद्रिय प्रतिनिधित्व (central representation) करते हैं।

गैरेट के अनुसार, इसकी उपयोगिता को दो रुप में समझा जा सकता है,

1.      यह एक औसत है, जो समूह के संदर्भ में एक संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करता है।

2.      इसके द्वारा हम दो या अधिक समूहों की तुलना कर सकते हैं।

सी रोस के शब्दों में, यह वह मान है, जो सम्पूर्ण आँकड़ों का सर्वोत्तम प्रतिनिधित्व करता है।

इसके प्रमुखतया तीन प्रकार हैं -

(1)Mean (मध्यमान) (2) Median (मध्याँक) और (3) Mode (बहुलाँक)

Mean (मध्यमान)

इसे कभी-कभी अंकगणितीय औसत (Arithmetic average) भी कहा जाता है, जब कि एक समूह के आँकड़ों या प्राप्ताँकों को जोड़कर समूह की संख्या से विभाजित किया जाता है।

जैसे, 7 विद्यार्थियों की एक कक्षा में छात्रों के प्राप्ताँक – 10,15,13,16,3,4,16 है, तो इनका योग 10+15+13+16+3+4+16=77 बनता है, इसको 7 से भाग करने पर 77/7=10 आता है। इस तरह कक्षा का मध्यमान (mean) या औसत 10 अंक हैं।

 

Median (मध्याँक)

एक ऐसा बिंदु है जो वितरण (distribution) को दो बराबर भागों में बाँटता है।

जब अव्यवस्थित आँकड़ों को बढ़ते क्रम (आरोही क्रम Ascending order) या घटते क्रम (अवरोही क्रम Descending order) में सुव्यवस्थित किया जाता है, जो सुव्यवस्थित श्रृंखला का मध्य बिंदु मध्याँक कहलाता है।

यदि संख्या विषम (Odd) हो तो –

(N+1)/2 वीं संख्या मध्याँक होगी।

जैसे, दी गई संख्याएं – 7,10,8,12,9,11,7

यहाँ कुल 7 संख्याएं हैं, जो विषम है, ऐसे में आरोही क्रम में श्रृंखला को व्यवस्थित करने पर,

7,7,8,9,10,11,12 आता है।

यहाँ (7+1)/2th अर्थात् 8/2th अर्थात् 4th संख्या 9 आ रही है, जो यहाँ मध्यमान होगी।

यदि संख्या सम (Even) हो तो –

माना दी गई सम संख्याएँ (6) हैं, जैसे - 7,8,9,10,11,12

मध्याँक होगा = [N/2th term + (N/2+1)th term]/2

= [6/2th term + (6/2+1)th term]/2

=[3rd term + (3+1)th term]/2

=[3rd term + 4th term]/2

= [9+10]/2 = 19/2 = 9.5 Answer

 

Mode (बहुलाँक)

वह अंक जो सबसे अधिक बार घटित होता है।

जैसे – 1,7,5,4,3,2,1

व्यवस्थित करने पर, 1,1,2,3,4,5,7

बहुलाँक = 1

Use of mean (मध्यमान की उपयोगिता)

1.       जब एक वितरण का रुप सामान्य हो अर्थात् प्राप्ताँक एक केंद्रिय बिंदु के चारों ओर समानरुप से वितरित हों।

2.       जब सबसे अधिक स्थिर एवं विश्वसनीय केंद्रिय प्रवृति का माप ज्ञात करना हो।

3.       जब सांख्यिकी के अन्य माप जैसे – मानक विचलन (standard deviation), सहसम्बन्ध गुणाँक (coefficient of correlation) आदि ज्ञात करने हों।

 

Use of median (मध्याँक की उपोगिता)

1.       जब वितरण का शुद्ध मध्य बिंदु ज्ञात करना होता है।

2.       जब सीमान्त प्राप्ताँक ऐसे हों जो मध्यमान (mean) को गंभीर रुप से प्रभावित करते हों। जैसे – 4,5,6,7,8

Mean = (4+5+6+7+8)/5 = 30/6=6

Also the Median = 6

But if scores are like – 4,5,6,7,50

Then mean = (4+5+6+7+50)/5=14.4 (यहाँ मध्यमान श्रृंखला के केंद्रीय माप की सही जानकारी नहीं दे पा रहा है, क्योंकि चार व्यक्तियों के अंक इसके आसपास भी नहीं हैं।)

जबकि Median = 6 इसकी सही जानकारी दे पा रहा है।

3.       ऐसी स्थिति में विशेष उपयोगी हैं जब अंक वितरण सामान्य न होकर विषम (skewed) हो।

4.       यह उस स्थिति में उपयुक्त रहता है, जबकि अंक वितरण अपूर्ण हो। तथा आरम्भ या अंत के कुछ अंक छूट गए हों।

Use of mode (बहुलाँक की उपयोगिता)

1.      जब केंद्रिय प्रवृति का त्वरित एवं मोटा मोटा (approximate) मापन भर करना हो।

2.      मध्याँक की तरह इस पर भी अंक वितरण के प्रारम्भिक व अंतिम अंकों का प्रभाव नहीं पड़ता है।

3.      बहुलाँक वितरण का सबसे अधिक संभावित मूल्य तथा सबसे अधिक महत्वपूर्ण मूल्य होता है। यह सीमान्त अंको को महत्व न देकर केवल सबसे अधिक प्रचलित एवं लोकप्रिय अंको को महत्व देता है। अतः व्यवहारिक जगत में इसका उपयोग सबसे अधिक होता है। उदाहरण, स्त्री व पुरुषों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले जुत्तों या कपड़ों का साइज।

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